
गर्भावस्था के दौरान किन टेस्ट्स का होना ज़रूरी है?
गर्भावस्था के दौरान किन टेस्ट्स का होना ज़रूरी है?
गर्भावस्था एक बेहद खास समय होता है किसी भी महिला के जीवन में। इस दौरान माँ और होने वाले बच्चे दोनों की सेहत का विशेष ध्यान रखना ज़रूरी होता है। सही समय पर सही टेस्ट करवाना न केवल जटिलताओं को रोक सकता है, बल्कि गर्भस्थ शिशु के स्वस्थ विकास को भी सुनिश्चित करता है। आइए जानें कि गर्भावस्था के दौरान किन-किन जाँचों की आवश्यकता होती है और ये क्यों ज़रूरी हैं।
पहले तिमाही (1 से 3 महीना) में जरूरी टेस्ट्स:
- ब्लड टेस्ट (रक्त जाँच):
- हीमोग्लोबिन की मात्रा पता करने के लिए
- HIV, हेपेटाइटिस B और C, सिफलिस जैसी बीमारियों की जांच
- थैलेसीमिया या एनीमिया जैसे अनुवांशिक रोगों की जांच
- यूरिन टेस्ट:
- पेशाब में शुगर और प्रोटीन की जांच, जिससे डायबिटीज या किडनी की समस्या का पता चल सके।
- अल्ट्रासाउंड (6 से 8 सप्ताह में):
- गर्भस्थ शिशु की स्थिति, ह्रदय गति, और सही गर्भावस्था की पुष्टि के लिए।
- ब्लड ग्रुप और Rh Factor की जांच:
- अगर माँ का Rh नेगेटिव और बच्चे का Rh पॉजिटिव हो, तो जटिलताएं हो सकती हैं। इसीलिए Anti-D इंजेक्शन दिया जाता है।
दूसरी तिमाही (4 से 6 महीना):
- डबल मार्कर या क्वाड्रपल मार्कर टेस्ट (11 से 14 सप्ताह):
- डाउन सिंड्रोम या अन्य जन्मजात बीमारियों का जोखिम पता करने के लिए।
- एनाटॉमी स्कैन (Level 2 Ultrasound):
- 18 से 22 सप्ताह के बीच किया जाता है। इसमें बच्चे के सभी अंगों की जांच की जाती है – जैसे ह्रदय, मस्तिष्क, रीढ़, पेट, हाथ-पैर आदि।
- OGTT (Oral Glucose Tolerance Test):
- गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes) की जांच के लिए।
- Urine Routine Test:
- बार-बार पेशाब संक्रमण से बचाव के लिए।
तीसरी तिमाही (7 से 9 महीना):
- ग्रोथ स्कैन और डॉपलर स्कैन:
- बच्चे की बढ़त, पोजिशन और प्लेसेंटा की स्थिति जानने के लिए।
- Non-Stress Test (NST):
- बच्चे की धड़कन और मूवमेंट पर नजर रखने के लिए। यह विशेषकर तब ज़रूरी होता है जब ड्यू डेट नज़दीक हो।
- CBC और यूरिन टेस्ट:
- एनीमिया और यूरिन इंफेक्शन को फिर से जांचने के लिए।
- Hepatitis B, HIV, और VDRL दोबारा:
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि डिलीवरी के समय कोई संक्रमण न फैले।
गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ ज़रूरी सुझाव:
✅ नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप कराएं (कम से कम हर महीने एक बार)।
✅ डॉक्टर की सलाह अनुसार फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम की गोलियाँ लें।
✅ संतुलित आहार लें जिसमें हरी सब्ज़ियाँ, फल, दूध और प्रोटीन शामिल हों।
✅ भरपूर पानी पिएँ और तनाव से दूर रहें।
✅ अत्यधिक थकान या असामान्य लक्षण दिखें तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
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